एक कातिल की कहानी जो जल्दबाज़ी का शिकार हो गया था।
कातिल उसके सामने आ चूका था। जीवन की साड़ी आशा खतम हो गयी थी। उसने कातिल का ध्यान अपनी आखरी चिट्ठी की तरफ खींचा , लेकिन अब वह कुछ भी सोचने समझने को त्यार नहीं था। बदले की आग ने उसे होश हवास से बेगाना कर दिया था।
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